Transformer में कौन -कौन से हानियां होती है,
जैसा कि हम सब जानते हैं कि ट्रांसफार्मर में कोई घूमने वाला भाग नहीं होता है जिसके कारण इसमें वायु एवं घर्षण हानियां होने की कोई संभावना नहीं होती है ।
अतः ट्रांसफार्मर में केवल मुख्य रूप से दो प्रकार की हानिया ही होती है-
1- कोरे या लौह हानियां (iron losses)
2- ताम्र हानियां (cupper losses)
ट्रांसफार्मर का कोर माइल्ड स्टील की पत्तियों को लैमिनेट करके बनाया जाता है जिसके कारण इसमें भी दो प्रकार की हानियां होती है-
I- Hysteresis Losses
II- Euddy current losses

यह लॉसेस ट्रांसफार्मर की कोर में चमकी प्रैक्सेयर प्रत्यावर्ती प्लस प्रवाहित होने के कारण होता है क्योंकि यह प्लस लगातार अपनी दिशा बदलते रहते हैं जिसके कारण कोर्ट में पहली एक दिशा में फिर दूसरी दिशा में स्थित होता रहता है जिसके कारण कोर में उपस्थित छोटे-छोटे मैग्नेट भी अपनी दिशा लगातार बदलते रहते हैं मतलब पहले एक दिशा में और फिर दूसरे दिशा में छोटे छोटे रहते हैं और इस क्रिया के दौरान ऊर्जा व्यय होती है या उर्जा उन अणु के बीच घर्षण से ताप में परिवर्तित हो जाती है जिससे के कारण और गर्म हो जाता है।
Wh= n Bmax 1.6 f.v watt
इस सूत्र के द्वारा इस प्रकार की हानि को ज्ञात किया जा सकता है।
इस हानि को कम करने के लिए कोर में लगभग 4 % सेलकॉन मिला दिया जाता है जो इस हानि को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
जब ट्रांसफार्मर को एसी सप्लाई से जोड़ते हैं तो एसी सप्लाई का फ्लेक्स लगातार परिवर्तित होता रहता है जिसके कारण कोर में भी एक e.m.f. प्रेरित हो जाता है और कोर में एक प्रकार की धारा फ्लो होने लगती है इसी धारा को ही हम भंवर धारा कहते हैं।
इस धारा के कारण I2 R losses. होती है जो heat के रूप में उत्पन्न होती है इस प्रकार losses को ही euddy करंट लॉसेस कहते हैं।
इस losses को कम करने के लिए silicon की पत्तियों को लैमिनेट करके बनाया जाता है।
कॉपर लॉसेस ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग के प्रतिरोध और उस में प्रवाहित होने वाली धारा के कारण उत्पन्न होता है यह लॉसेस ट्रांसफार्मर पर लोड पड़ने पर बढ़ता है और घटने पर घटता है।
परंतु ट्रांसफार्मर के No Load पर केवल आयरन लॉसेस ही होता है उस समय कॉपर लॉसेस लगभग जीरो होता है।
अतः ट्रांसफार्मर में केवल मुख्य रूप से दो प्रकार की हानिया ही होती है-
1- कोरे या लौह हानियां (iron losses)
2- ताम्र हानियां (cupper losses)
1- Core or iron losses
ट्रांसफार्मर का कोर माइल्ड स्टील की पत्तियों को लैमिनेट करके बनाया जाता है जिसके कारण इसमें भी दो प्रकार की हानियां होती है-
I- Hysteresis Losses
II- Euddy current losses

I -Hysterisis Losses
यह लॉसेस ट्रांसफार्मर की कोर में चमकी प्रैक्सेयर प्रत्यावर्ती प्लस प्रवाहित होने के कारण होता है क्योंकि यह प्लस लगातार अपनी दिशा बदलते रहते हैं जिसके कारण कोर्ट में पहली एक दिशा में फिर दूसरी दिशा में स्थित होता रहता है जिसके कारण कोर में उपस्थित छोटे-छोटे मैग्नेट भी अपनी दिशा लगातार बदलते रहते हैं मतलब पहले एक दिशा में और फिर दूसरे दिशा में छोटे छोटे रहते हैं और इस क्रिया के दौरान ऊर्जा व्यय होती है या उर्जा उन अणु के बीच घर्षण से ताप में परिवर्तित हो जाती है जिससे के कारण और गर्म हो जाता है।
Wh= n Bmax 1.6 f.v watt
इस सूत्र के द्वारा इस प्रकार की हानि को ज्ञात किया जा सकता है।
इस हानि को कम करने के लिए कोर में लगभग 4 % सेलकॉन मिला दिया जाता है जो इस हानि को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
II Euddy current losses-
जब ट्रांसफार्मर को एसी सप्लाई से जोड़ते हैं तो एसी सप्लाई का फ्लेक्स लगातार परिवर्तित होता रहता है जिसके कारण कोर में भी एक e.m.f. प्रेरित हो जाता है और कोर में एक प्रकार की धारा फ्लो होने लगती है इसी धारा को ही हम भंवर धारा कहते हैं।
इस धारा के कारण I2 R losses. होती है जो heat के रूप में उत्पन्न होती है इस प्रकार losses को ही euddy करंट लॉसेस कहते हैं।
इस losses को कम करने के लिए silicon की पत्तियों को लैमिनेट करके बनाया जाता है।
2- CUPPER LOSSES
कॉपर लॉसेस ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग के प्रतिरोध और उस में प्रवाहित होने वाली धारा के कारण उत्पन्न होता है यह लॉसेस ट्रांसफार्मर पर लोड पड़ने पर बढ़ता है और घटने पर घटता है।
परंतु ट्रांसफार्मर के No Load पर केवल आयरन लॉसेस ही होता है उस समय कॉपर लॉसेस लगभग जीरो होता है।
No comments